शनि के गुण ,शरीर के हिस्से ,कारोबार ,बीमारियां,कारक तत्व ,कर्म, न्याय ,रोग ,कष्ट का  कारक    

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शनि के गुण ,शरीर के हिस्से ,कारोबार ,बीमारियां,कारक तत्व ,कर्म, न्याय ,रोग ,कष्ट का  कारक          

  • शनि ग्रह , कर्म ,रोग न्याय   कारक  का परिचय |

                    शनि ग्रह को  कर्म और  न्याय  का कारक माना गया है  | “शनि के गुण ,शरीर के हिस्से ,कारोबार ,बीमारियां,कारक तत्व ,कर्म, न्याय ,रोग ,कष्ट का  कारक” भी शनि ग्रह को ही माना गया है  | शनि का जन्म सूर्य की दूसरी पत्नी छाया के गर्भ से हुआ था ,किंतु शनि के सांवले रंग को देखकर सूर्य को अच्छा नहीं लगा  ,इसी कारण सूर्य शनि से नफरत करता है  |उसी  समय से शनि और सूर्य में ठनी हुई है, दोनों एक दूसरे को अपना शत्रु मानते हैं  तथा एक दूसरे की काट  में लगे रहते हैं  | सौर मंडल में शनि को सेवक  का पद प्राप्त है  ,सौरमंडल की 12 राशियों में  शनि को  मकर और  कुंभ राशि का स्वामी  माना है  ,शनि की मकर राशि  दशम भाव में होने के कारण  शनि को कर्म  कारक माना गया है |  शनि तुला राशि में 20 अंश तक  उच्च का और और  मेष राशि के 20 अंश तक  नीच का माना गया है  कुंडली के सातवें घर में शनि को दिग्ग बल  मिलता है  | शनि किसी बकरी ग्रह अथवा चंद्रमा के साथ युति करके चेष्टा बाली होता है  |य |  

शनि के मित्र और शत्रु  |

                  बुद्ध और शुक्र शनि के बहुत अच्छे दोस्त हैं  | बृहस्पति को यह सम  मानता है  | सूर्य और मंगल को यह  अपने  पक्के दुश्मन मानता है  शनि ग्रह बुध के साथ सात्विक और शुक्र के साथ राजसिक संबंध रखता है | शनि एक राशि में ढाई  वर्ष रहता है  शनि 12 राशियों का चक्कर 30 साल में पूरा करता है   शनि का विशेष फल जीवन के आरंभ अथवा अंत में प्राप्त होता है | इसकी गणना  पाप ग्रहों में की जाती है  शनि की  तीन दृष्टि होती  हैं  शनि जिस घर में बैठता है  उससे  तीसरे, सातवें घर में और दसवें  घर में उसकी दृष्टि पड़ती है  यह  जातक के जीवन में 35  से 42 वर्ष की अवस्था में विशेष फल देता है|  आसमान में दिखने वाले सभी ग्रहों में शनि  तेज हीन प्रतीत होता है  | उसकी गति अन्य ग्रहों की गति से  बहुत कम है 

शनि का पद और कारक | 

                  नौ ग्रहों में सूर्य को राजा और शनि को सेवक माना गया है | | शनि की धीमी गति के कारण कोई भी फल देने में वह विलंब करता है  | कड़ी मेहनत के बाद  फल देने वाला शनि के पास   लगन, शांति और निरीक्षण के गुण होते हैं  | शनि सेवक की भूमिका में है  अतः दूसरों की मर्जी संभालना  और निम्न  दर्जे के काम वो करता है  | | जीवन का अंत और  मृत्यु भी शनि से देखी जाती है , शनि कड़ी मेहनत और लगन से किए जाने वाले काम का करके होने के कारण फल अवश्य देता है अथवा शनि काम करने वाला  हमेशा काम में लगा रहने वाला मेहनत  करने वाला और कभी-कभी अपमान भी बर्दाश्त करने  पर भी हल्के काम करता है| 

शनि के गुण |

                  शनि ग्रह धीमी गति वाला अथवा अच्छी कार्य शक्ति और मंजिल के प्रति समर्पित, सोच समझ कर धीमी गति से काम करने के कारण आलसी  भी प्रतीत होता है|  और सुख की कम लालसा के कारण कंजूसी भी करता है  | 

शनि ग्रह के अधीन शरीर के हिस्से | 

                   शनि की कठिनाई के कारण शरीर के कठिन हिस्से अर्थात हड्डियां  |  शरीर के पूरे हड्डियों के ढांचे पर शनि का अधिकार है|  शनि की मकर राशि कुदरत कुंडली में दशम भाव आरंभ में आती है इस भाव  से निर्देशित होने वाले घुटने पर शनि का अधिकार होता है|  शनि की कुंभ राशि कुदरत कुंडली में एकादशी बाबा आरंभ में आती है यह बाजू तत्व राशि होने के कारण शनि का कानों पर अधिकार है, पुरुषों का बाया कान  और महिलाओं का दाहिना कान पर शनि का अधिकार होता है | 

शनि के अधीन बीमारियां   | 

                    शनि धीमी गति से चलने वाला  अतः लंबे समय तक चलने वाली और जल्दी ठीक ना होने वाली बीमारियां जैसे लकवा कैंसर दांतों के रोग अस्थमा और वे वक्त आने वाला बुढ़ापा और हमेशा तकलीफ देने वाली   चमड़ी   की बीमारियांऔर शनि हड्डियों से संबंधित है  अतः हड्डियों को होने वाली बीमारियां जैसे टीवी, हड्डी का कमजोर होना  जा टूटना जैसे कैल्शियम की कमी  ,बालों का झड़ना  ,कानों की बीमारियां , बहरापन  ,शनि का शरीर के जोड़ों पर अधिकार है  इसलिए जोड़ों के दर्द  ,शनि की प्रकृति ठंडी है  इस कारण होने वाला सर्दी में सर्दी और जुकामअदि  बीमारियां   शनि के अधिकार में हैं | | 

शनि के अधीन कारोबार |   

                     शनि सेवक अतः  निम्न  के दर्जे के काम, शनि मृत्यु को दर्शाता है अथवा जानवरों की मृत्यु के बाद प्रयोग में लाया जाने वाला चमड़ा, इतिहास की खोज पुरानी चीजों की खोज का  कारोबार परिवार  नियोजन केंद्र के हॉस्पिटल , बर्फ के कारखाने फ्रिज और एयर कंडीशनर बनाने के कारखाने कोल्ड स्टोरेज  |  शनि गहराई है अथवा जासूसी ज्योतिष मंत्र तंत्र, लोहा, जस्त , कोयला, अदि  से जुड़े कारोबार शनि के अधिकार में आते हैं | 

शनि के स्थान | 

                   शनि को अकेलापन पसंद है अच्छा जंगल, गुफाएं ,शनि हल्के काम करने वाला अतः  गंदे स्थान गटर, अंधेरे का स्थान कोयला और लोहे की खदान |  शनि मृत्यु दर्शन अर्थात शमशान,  शनि ठंडा होता है | पहाड़ों की चोटियां बर्फ ,आइसक्रीम के, कारखाने घर में कचरा का कोना, रसोई में ड्रेनेज पाइप , फ्रिज में फ्रीजर अदि स्थान पर शनि का अधिकार होता है 

शनि के अधीन जानवर और पेड़ पौधे| | 

                    शनि गंदा अथवा चूहा, छिपकलियों जैसे जानवर  |  मोटे छिलके वाले पेड़ स्वादहीन  फल सुपारी, करेला और कंदमूल जैसा  फ़ल  शनि के अधिकार में आते हैं | 

निष्कर्ष | 

                   शनि कर्म कारक  ग्रह है | शनि को कर्मफल दाता भी कहा गया है |  यह कर्मों का फल जरूर देता है इसकी प्रवृत्ति हर काम को विलंब से करने की है और शनि मेहनत से काम करने को प्रेरित करता है|  शनि फल देने में विलंब तो करता है ,मगर फल जरूर देता है|  शनि आदमी के किए कर्मों का अच्छा फल केतु  के  माध्यम  से देता है और  बुरे कर्मो का फल राहु के माध्यम से जातक को देता है  |

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