राहु एक छाया ग्रह,गुण ,कारोबार ,स्थान, इंटरनेट,दुख ,दुर्भाग्य ,बीमारियां |
राहु एक छाया ग्रह है| राहु आज के युग में इंटरनेट ,ऑनलाइन ,इलेक्ट्रॉनिक चीजों का कारक है | ,राहु को कॉल पुरुष का दुख माना गया है| राहु दुख ,शोक, पाप और दुर्भाग्य का प्रतीक ग्रह है| राहु विपरिचत नामक राक्षस और हिरण्यकश्यप की पुत्री सिंहिका का पुत्र है इस ग्रह का मानव के पैरों पर अधिकार होता है| यह एक राशि में पूरे डेढ़ वर्ष तक रहता है| यदि राहु जन्म कुंडली में तीसरे छठे भाव में दसवें और एकादश भाव में मौजूद हो तो अपनी दशा में विशेष फल करता है |
राहु के मित्र और शत्रु|
राहु की मित्र राशियां मिथुन, कन्या, तुला, धनु, मकर तथा मीन राशियां हैं | कर्क और सिंह राहु की शत्रु राशियां हैं| राहु शुक्र के साथ राजासी तथा सूर्य और चंद्रमा के साथ शत्रु व्यवहार करता है, बुध शुक्र गुरु को राहु ना तो अपना मित्र समझता है और ना उनसे किसी प्रकार की शत्रुता ही रखता है| राहु को इस युग में प्रत्यक्ष प्रभाव देने वाला माना गया है |
राहु के बारे में कृष्णमूर्ति जी का विचार |
कृष्णमूर्ति प्रणाली के जनक स्वर्गीय श्री के एस कृष्णमूर्ति जी ने कहा है कि राहु और केतु छाया ग्रह दूसरे सभी ग्रहों से स्ट्रांग हैं | राहु केतु दूसरे ग्रहों की तरह आसमान में दिखाई नहीं देते दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह दोनों आसमान में कल्पित बिंदु है ,पृथ्वी की सूर्य प्रदक्षिणा करने की भ्रमण कक्षा और चंद्रमा के पृथ्वी-प्रदक्षिणा करने की भ्रमण कक्षा जिन दो स्थानों पर छेद करती है वह दो छेड़ना बिंदु ही राहु और केतु हैं |
राहु का फल देने का तरीका |
सबसे पहले राहु पर जिस ग्रह की भी दृष्टि होती है राहु अपनी दशा में उस ग्रह के फल देता है उसके बाद राहु की युति में स्थित ग्रहों के अनुसार राहु फल देता है| अगर रहो पर किसी ग्रह की दृष्टि ना हो और ना ही राहु के साथ किसी ग्रह की युति हो तो राहु जिस ग्रह के नक्षत्र में हो उस नक्षत्र स्वामी के अनुसार फलादेश देता है और आखिर में राहु जिस राशि में हो उसे राशि के स्वामी के अनुसार, वो राशि स्वामी जिस घर में बैठा है और उसकी दूसरी राशि जिस भाव में है उस राशि के फल पूरा देता है इसलिए राहु का फलादेश करते समय इन सब चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए |
राहु ग्रह की विशेषताएं |
राहु को सांप का मुख माना गया है, सांप के मुख में जहर होता है, अतः राहु विषैला ग्रह है| उसका स्वभाव भी विषैला है | जहर या जहर के प्रयोग के बारे में जानने के लिए राहु को प्रमुखता से देखा जाता है| विषवृति के कारण उसमें शुद्धता, क्रूरता और झूठा पन है | सांप अकेले में रहने वाला अतः जंगली वृति , बुराई करने की ताक में रहने वाले अपनी क्रूर वृति के कारण सजा का हकदार होता है | अतः बंधन योग में राहु के बारे में सोचा जाता है ,राहु अदृश्य है ,अतः पिशाच योनि , जरन ,मरणऔर श्मशान राहु से जुड़ा है और अतृप्त आत्माएं भी राहु से देखी जाती हैं |
राहु के गुण |
राहु के पास जहर है अतः राहु का स्वभाव बहुत कड़वा है हल्की सोच विचार, वासना, पिशाच की तरह बर्ताव , चोरी, ठगना , उतावला और विस्तार की शक्ति, यह सब राहु के गुण हैं | साथ ही राहु पर जिस ग्रह की दृष्टि और राहु के साथ जिस ग्रह की युति और राहु जिस नक्षत्र में हो उस नक्षत्र स्वामी के अनुसार बर्ताव करता है|
राहु से संबंधित बीमारियां |
राहु शूद्र तथा हल्का ग्रह होने के कारण हल्की सोच, पागलों जैसा बर्ताव या पागलपन, कुष्ठ रोग , पिशाच बाधा मृत आत्माओं के श्राप मानसिक बीमारियां अदि | जन्म कुंडली में राहु अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो जातक चर्बी तथा हड्डी जनित रोगों से पीड़ित रहता है| राहु के दुष्प्रभाव से जातक हल्की सोच के साथ मानसिक रूप से सदा दुखी बना रहता है |
राहु से संबंधित कारोबार |
राहु पिशाच से संबंधित अतः जारण , मरण विधाओं का प्रयोग करने वाले तांत्रिक यांत्रिक , मृत्यु दर्ज करने वाले विभाग | श्मशान घाट अदि से संबंधित कारोबार, राहु बंधन कारक है अतः जेल , एकांत से जुड़े कारोबार ,काले रंग की चीज ,कार्बन, मैग्नेट, बाल और उन्नी चीज का कारोबार | नौका चालक , राजनीतिक,और राजनेता , विष से संबंधित कीड़े मर दवाइयां की फैक्ट्री या कीड़े मर दवाईआं का कारोबार | अगर राहु किसी कुंडली में दशम भाव में स्थित होऔर उसे पर बृहस्पति की दृष्टि हो तो राजनीति में सफलता देता है |
राहु के स्थान |
राहु हल्के पान का कारक है इसलिए दलदल , गन्दगी वाले स्थान , डरावनी स्थान , पिशाच निवास के स्थान श्मशान घाट, गांव की हद, राहु बंधन कारक है अतः कारावास , जेल और शांत स्थान |
राहु से संबंधित जानवर और पेड़ पौधे|
राहु एक विषैला ग्रह है इसलिए जहरीले सांप बिच्छू और जहरीले जानवर, कौवा अदि और जहरीले पेड़ पौधे राहु के अधिकार में हैं|
निष्कर्ष |
राहु एक छाया ग्रह है इसकी शक्ति असीम है जैसे बृहस्पति की शक्ति एक्सपेंशन के लिए सिमित है पर राहु असीम एक्सपेंशन देता है| आज के युग में राहु का बहुत प्रभाव है| राहु जिस राशि में कुंडली में बैठता है मानव को उस राशि उस भाव के फलों के लिए डीप अटैचमेंट होती है ,उस भाव की चीजों को पाने के लिए जातक किसी भी हद तक जाता है | राहु राजनीति का सफल खिलाड़ी है यह साम , दाम, दंड ,भेद सभी तरह के प्रयोग जो राजनीति में होते हैं उसमें माहिर है| कुंडली में तीसरे छठे,दशम , और एकादश भाव में राहु हो तो अपनी दशा में जातक को बहुत ही ज्यादा फायदा देता है | कुंभ राशि पर राहु का अधिकार माना गया है कुंभ राशि का राहु जातक को भाग्यशाली और उच्च पद का प्रत्याशी बनता है जबकि शत्रु क्षेत्रीय राहु जातक के भाग्य को चमकाने वाला और उसके कार्यों को संपादित करने वाला होता है |
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