कुंडली के पहले घर से क्या देखा जाता है ?
भाव विचार,
जिसे घर भी कहते हैं, और हाउस भी कहते हैं|
आज से हम कुंडली के भावों के बारे में जानेंगे, की कुंडली में कितने भाव होते हैं ,और हर एक भाव से क्या-क्या देखा जाता है |
किसी की ज़िंदगी में कोई घटना होगी या नहीं, इसके बारे में फलादेश बताने का प्रमुख साधन है जन्म कुंडली या प्रश्न कुंडली | इसके लिए भावों के बारे में ही सोचा जाता है | कोई ग्रह और राशि किसी घटना की जानकारी देते हैं क्या | इसके लिए भाव के बारे में अधिक जानकारी लेना जरूरी हो जाता है | वैदिक ज्योतिष में भी भावों पर ही विचार किया जाता है| जब भी किसी घटना के बारे में जातक के प्रश्न का उत्तर देना हो ,तब उस घटना से संबंधित भाव पर विचार किया जाता है ,और कृष्णमूर्ति प्रणाली में हर भाव द्वारा मिलने वाले फल के बारे में तात्विक तरीके से सोच कर, किसी भी घटना का फलादेश बताते हुए उस घटना से संबंधित कई भावो को एक साथ जानकर फल बताया जाता है | अगर केवल ग्रह और किसी राशि के कारक तत्वों को ही देख करउत्तर दें ,तो वह उत्तर गलत हो जाते हैं क्युकी भावो के बिना किसी भी घटना का विचार नहीं किया जा सकता |
इसलिए कौन सी घटना के लिए, किन-किन भावों के बारे में प्रमुखता से सोचा जाए और कौन से भाव उस घटना के लिए सहायक के तौर पर देखे जाए ,इसकी पूरी जानकारी कृष्णमूर्ति प्रणाली में दी गई है |
नोट– इसलिए जिन लोगों को भी ग्रहों के बारे में और राशियों के बारे में जानकारी लेनी हो तो हमारी वेबसाइट https://astromadankishore.com पर हमारी पिछली पोस्टों में उसके बारे में विस्तार से बताया गया है [कृपया पिछली पोस्टें पढ़ें ] और उसी कड़ी में आज हम भावों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं | किसी भी कुंडली में 12 भाव ,या घर या हाउस होते हैं|
नंबर 1 – पहला भाव |
इस भाव को प्रथम भाव,या पहला घर ,या लगन,या फर्स्ट हाउस भी कहा जाता है |
कॉल पुरुष की कुंडली में प्रथम भाव में मेष राशि आती है| इस राशि का स्वामी मंगल है | इसलिए इस भाव पर मेष राशि और मंगल ग्रह दोनों का प्रभाव पाया जाता है |
प्रथम भाव से देखे जाने वाले शरीर के हिस्से |
1 प्रथम भाव से आपका मस्तिष्क और सिर और पूरा शरीर देखा जाता है | प्रथम भाव आप खुद हैं | इस भाव से आपके बारे में सब कुछ जाना जा सकता है| यह भाव सिर से संबंधित है इसलिए मस्तिष्क के जरिए होने वाले सभी कार्य इस भाव से देखे जाते हैं | मस्तिष्क का पहला काम जो होता है वह सोचना है ,इसलिए जातक का सोचने का तरीका, जातक का स्वभाव ,जातक की सोच का स्तर ,उसके विचार कैसे हैं ,यह सब इसी भाव से देखा जाता है | किसी की भी सोच के द्वारा ही उसके बर्ताव और उसकी पसंद ना पसंद और उसके मन का झुकाव और उसकी आदतें जो हैं ,इन सब बातों के लिए प्रथम भाव अथवा लग्न भाव को ही देखा जाता है ,और प्रथम भाव आपका खुद का भाव है आप खुद हो ,इसलिए पूरा शरीर भी इसी भाव से देखा जाता है |
2 इसलिए शरीर में बल, शक्ति ,जातक का धीरज, जातक का हौसला,जातक की नेतृत्व करने की क्षमता ,रोग प्रतिरोध की शक्ति और किसी का प्रतिरोध करने का तरीका, उसका स्वास्थ्य उसके शरीर में रोग प्रतिरोध की शक्ति ,उसकी आयु, उसकी साधारण सफलता और असफलता ,उसका अधिकार और उसका स्टेटस ,वह दिखने में कैसा रहेगा ,उसका कद काठी ,उसका चेहरा यह सब चीज पहले घर अथवा प्रथम भाव से ही देखा जाता है |
प्रथम भाव से जातक से संबंधित लोगों के बारे में क्या क्या देखा जा सकता है ?
1 किसी भी जातक की कुंडली के लगन भाव से उस जातक से संबंधित लोगों के बारे में भी बताया जा सकता है | जैसे इस प्रथम भाव से छोटे भाई बहन के लिए लाभ को देखा जा सकता है ,और इसी भाव से माता का स्टेटस, माता की प्रसिद्ध ,या माता का कार्य क्षेत्र भी देखा जा सकता है ,माता के राजनीतिक कार्य में प्रतिष्ठा भी जातक के इस लग्न भाव से देखी जाती है |
2 प्रथम भाव से ही इस जातक की संतान की उच्च शिक्षा का ,उनकी विदेशी यात्रा , उनका सफरऔर उनकी नौकरी या कारोबार में बदलाव भी इसी भाव से देखा जा सकता है | जातक के इसी प्रथम भाव से उसके मामा तथा उसके नौकरों के साथ होने वाली दुर्घटनाएं ऑपरेशन या उनके मन अथवा शरीर से जुड़ी तकलीफ ,के बारे में जाना जा सकता है |
3 जातक के इसी भाव से उसके पिता या गुरु अथवा अनजाने इंसान की नौकरी में बदलाव उनके स्वास्थ्य उनके शेयर बाजार से जुड़ी गतिविधि और आकर्षण के बारे में जानकारी मिल सकती है |
4 जातक के इसी भाव से बड़े भाई बहन अथवा दोस्तों की नजदीकी यात्रा ,उनकी शिक्षा, में आने वाली तकलीफ है ,घर और उनके वाहन में बदलाव जैसी बातों की जानकारी भी जातक के इस लग्न भाव के द्वारा प्राप्त हो सकती है| मगर जातक से संबंधित लोगों के बारे में जातक की कुंडली से तब ही देखें जब उसके उन संबंधित लोगों की कुंडलीआपके पास ना हो ,क्योंकि किसी का भी जीवन का लेखा-जोखा उसकी अपनी कुंडली से ही देखना चाहिए ,यह विधि सिर्फ उसी वक्त यूज़ में लानी चाहिए ,जबअत्यंत जरूरी हो | यह व्यौरा सिर्फ इसलिए दिया गया है ,कि इस प्रथम भाव से भीआप जातक से सम्बंदित लोगों के बारे में भी जानकारी दे सकते हैं |
प्रथम भाव से देखे जाने वाले विरोधी फल |
कृष्णमूर्ति प्रणाली में यह नियम बताया गया है, कि किसी भी घर[ भाव ]का बारहवां भाव ,उस घर की हानि करता है| इसलिए प्रथम भाव ,जिसे लग्न भाव भी कहते हैं, दूसरे भाव जो धन स्थान और परिवार का स्थान है, उसका बारहवां स्थान होने के कारण ,परिवार की समस्या तथा धन से जुड़ी समस्या भी, इस बात से देखी जाएगी, जातक को धन कमाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है ,| प्रथम भाव [लग्न] मजबूत होने के कारण, इस जातक को शरीर के तौर पर तो बहुत फायदा होगा, मगर उसकी मजबूती परिवार और धन के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है| और कई बार परिवार बढ़ भी नहीं पाते |
प्रथम भाव से देश और प्रदेश |
किसी भी देश या राज्य की कुंडली से, उसके प्रथम भाव से उस देश और उसके राज्य की जनसंख्या और लोगों का बर्ताव, लोगों की सोच, लोगों की संस्कृति, अदि के बारे में भी उस देश या राज्य की लग्न कुंडली और लग्न भाव से ही देखा जाता है | अगर किसी का घर देखना हो, तो प्रथम भाव से घर का दरवाजा देखा जाता है
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