बृहस्पति ग्रह देवताओं का गुरु |
बृहस्पति को महर्षि अंगिरा का पुत्र माना जाता है| तथा पुराणों में सप्त ऋषियों में बृहस्पति की गणना की जाती है| बृहस्पति की माता श्रद्धा कर्दम की पुत्री थी, बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है| बृहस्पति अन्य ग्रहों की अपेक्षा अधिक बलशाली, कोमल वृति वाला , ज्ञान का प्रदाता तथा शुभ ग्रह है | बृहस्पति को गुरु भी कहते हैं | बृहस्पति धनु और मीन राशि का स्वामी है | सूर्य चंद्रमाऔर मंगल इसके अच्छे मित्र हैं ,जब के शनि राहु और केतु की इससे न मित्रता है और ना शत्रुता | बुध और शुक्र बृहस्पति से पक्की शतुर्ता रखते हैं | इसका कारण यह भी है कि वो बृहस्पति की शक्ति को स्वीकार नहीं करते | बृहस्पति [गुरु ] समय-समय पर मार्गी ,बक्री और अस्त होता रहता है | बृहस्पति देवताओं का गुरु होने के कारण गुरु के सारे गुण इसमें मौजूद हैं | अतःइंसाफ दिलाना ,तत्वज्ञान ,भक्ति, धर्म , पुनर्जन्म ,वेद वेदांत ,देवी देवता , इनका प्रतिनिधित्व भी गुरु करता है | इसकी एक राशि धनु ,नवम भाव में और दूसरी राशि मीन ,द्वादश भाव में आती है | धनु के नवम भाव में होने के कारण दूर की यात्राऔर धार्मिक यात्रा भी गुरु से जुडी हुई है | गुरु आकार में बड़ा ग्रह है, अतः बड़प्पन ,समाज सेवा ,देश में अथवा दुनिया में मशहूर ,मान सम्मान ,प्रमोशन ,हर तरह की वृद्धि ,हर प्रकार की उन्नति पर गुरु का अधिकार है | गुरु की मीन राशि द्वादश भाव में होने के कारण परलोक, प्रदेश और मोक्ष का कार्य भी गुरु के अधीन है|
बृहस्पति के गुण |
देव तत्व और इंसाफ दिलाने वाला अथवा शांत स्वभाव धार्मिक ,तत्वज्ञान, साधक, अच्छे मार्गदर्शक ,न्याय, सलाहकार जैसा गुण बृहस्पति में पाए जाते हैं | बृहस्पति वृद्धि करने वाला ,अतः परिवार में संतान भी गुरु से ही देखी जाती है |
बृहस्पति का शरीर के हिस्से पर अधिकार |
बृहस्पति का शरीर की चर्बी, लिवर , कलेजा, रक्त प्रवाह,और शरीर के हिस्से पैरों पर भी गुरु का अधिकार है पैरों का ऊपरी हिसा और पैरों के तलवे यह सब बृहस्पति के ही अधीन है|
बृहस्पति { गुरु } से संबंध की बीमारियां |
गुरु का लीवर पर अधिकार है अतः इससे संबंधित पीलिया रक्त दोष और गुरु वृद्धि कारक है अतः शरीर के किसी भी हिस्से का अतिरिक्त बढ़ जाना या रस निर्माण अधिक होने की वजह से होने वाला कैंसर ,सूजन बड़े-फोड़े , हाथी रोग , गांठअदि , बीमारियां गुरु बृहस्पति के अधिकार में हैं|
बृहस्पति के अधीन कारोबार |
देव तत्व वाले गुण के कारण पुजारी ,पुरोहित, भजन करने वाले ,मंदिर मस्जिद या प्रार्थना स्थान के अधिकारी और ज्ञान पर गुरु का अधिकार अतः स्कूल कॉलेज जैसी शिक्षा संस्थान ,गुरु इंसाफ का कारक कानून या अदालत से जुड़े कारोबार| गुरु संतान का कारक था बच्चों को पालना, बाल सुधार संस्था और गुरु की धनु राशि कुदरत कुंडली में नवम भाव आरंभ में है यह भाव दूर के सफर को दर्शाता है अतः नेवी, अंतर्राष्ट्रीय यात्रा संस्था और गुरु दूध, चर्बी , मिठाई , काजू , बादाम अदि के कारोबार का कारक है | गुरु की मीन राशि द्वादश स्थान में आती है अतः इस स्थान से संबंधित विदेशी कंपनियां ,अस्पताल और जेल से जुड़े कारोबार या नौकरी | गुरु वृद्धि अथवा प्रसार करने वाला है तथा प्रकाशन का कारोबार भी गुरु केअधीन ही है
बृहस्पति गुरु के अधीन निर्माण कार्य|
गुरु शिक्षा से संबंधित है अतः स्कूल कॉलेज ,गुरु धर्म से संबंधित है अतः मंदिर, मस्जिद, धर्मस्थल से संबंधित पत्रिकाओं और ग्रंथ लेखन और साहित्य प्रकाशन ,और गुरु से संबंधित तेल की मिठाई अदि चीजों का निर्माण| गुरु वृद्धि करने वाला है तथा रबर स्प्रिंग धातु के पतरे और गहनों का निर्माण कार्य हैं |
बृहस्पति गुरु का स्थान |
गुरु शिक्षा और ज्ञान का कारक तथा स्कूल कॉलेज शिक्षा संस्थान धार्मिक शिक्षा देने के स्थान गुरु में देव तत्व के गुण हैं तथा मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, जैसे धार्मिक स्थान| गुरु बहुत बड़ा ग्रह है अतःबड़े संयंत्र, बड़ी वास्तु रचनाएं बड़े हालघर और पूजा घर, साधु संतों की तस्वीर इन सभी स्थानों पर गुरु का अधिकार होता है |
बृहस्पति गुरु से संबंधित जानवर और पेड़ पौधे |
गुरु बृहस्पति बहुत बड़ा ग्रह है अतः हाथी घोड़े भैंस भैंस जैसे बड़े जानवर ,मोर जैसे बड़े पंछी, बड़ी जगह पर फैलने वाले वट वृक्ष जैसे पेड़, बादाम मूंगफली काजू पर भी गुरु का अधिकार होता है |
Nice information
image v add kijiye sir
Nice post