कर्क राशि चौथी राशि , स्वामी चंद्रमा , , चंचलता, सादगी , संवेदनशीलता, शरीर के हिस्से ,बीमारियां ,कारोबार ,निर्माण, स्थान,गुण|
कर्क राशि का स्वभाव और इसके गुण |
कर्क राशि काल पुरुष कुंडली में चौथी राशि है | जिसका स्वामी चंद्रमा है | चंद्रमा लगातार गति करने वाला तथा सबसे तेज गति वाला ग्रह है | चंद्रमा का गुण, चंचलता ,सादगी, नाजुक्ता, संवेदनशीलता ,यह सारे गुण कर्क राशि में पाए जाते हैं | कर्क राशि एक चर राशि है अतः यह राशि तुरंत और शुभ फल देती है | कर्क राशि एक स्त्री कर्क राशि है | इस कारण इस राशि वाले थोड़े डरे, सहमे ,रहने का गुण इस राशि पाया जाता है| कर्क राशि वालों को कहा जाता है कि उनको अपना संग साथ ,सही रखना चाहिए कर्क राशि में इमोशन बहुत है |चंद्रमा का गुण, चंचलता, कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा माता का कारक है इसलिए इस राशि वालों में मां की तरह केयर करने बाली नेचर होती है ,यह केयर टेकर राशि है | यह राशि एक जरूरत की राशि है | जब तक इस राशि के लोगों की जरूरत परिवार की तरफ से पूरी होती रहेगी यह कुछ नहीं करेंगे | जो भी गृह इस राशि में हो, जैसे शुक्र हो तो घर बालों को इनकी पैसे की जरूरत पूरी नहीं करनी चाहिए ,फिर इनको चोट लगेगी और फिर यह बहुत पैसा कमाएंगे |
इस राशि बालो को कम्फर्ट ज़ोन से बहार आना ही होगा ,फिर इनको सफलता मिलती है | कर्क राशि वाले जातकों को घर से दूर जाकर कामयाबी मिलती हैं| कर्क राशि का स्वामीचंद्रमा एक जल कारक , तथा शुद्ध ग्रह है ,अतः यह राशि जल तत्व की राशि है ,पीने का शुद्ध पानी इस राशि से देखा जाता है | कालपुरष कुंडली में कर्क राशि चतुर्थ स्थान में आती है | चतुर्थ स्थान से घर ,मातृ प्रेम ,वाहन ,शिक्षा ,प्रॉपर्टी ,घर का सुखदेखा जाता है ,जल के स्थान ,वाहन की गति ,किसी चीज का आकलन तथा मां की ममता अदि बातें ,यह कर्क राशि से ही संबंधित है | चंद्रमा मन का कारक है, अतः यह राशि दयालुः ,स्नेह, सभाव वाली है | हर हाल में समझौता कर लेना इस राशि की विशेषता है|
कर्क राशि के अधीन शरीर के हिस्से|
कर्क राशि कुदरत कुंडली में चतुर्थ स्थान पर आती है अतः इस घर से देखे जाने वाला वक्ष स्थल तथा सीने और फेफड़ों पर इस राशि का अधिकार है| कर्क राशि एक जल तत्व राशि है अतः शरीर का खून ,हर तरह के रस, पाचन क्रिया में पाचक रस इस राशि से देखा जाता है| कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा मां का कारक है अतः इस राशि का मन पर भी अधिकार होता है| कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है,चंद्रमा का गुण, चंचलता, चंद्रमा सोच विचार का कारक है, अतः मन में आने वाले सब विचार इस राशि से ही संबंधित है |
कर्क राशि से संबंधित बीमारियां |
कर्क राशि कुदरत कुंडली में चतुर्थ स्थान में आती है जहां से सीना वक्ष स्थल देखा जाता है| फेफड़े की बीमारियां ,सर्दी ,बुखार,शरीर के पाचक रसों से संबंधित ,तथा पाचक रसों के संतुलन में कमी या रसों का ज्यादा होने के कारण होने वाले एसिडिटी ,मूत्र विकार जैसी बीमारियां | चंद्रमा मन से संबंधित है अतः मन की बीमारियां पागलपन ,नींद का ना आना ,कर्क राशि जल तत्व से संबंधित है अतः जलोदर अर्थात शरीर के किसी हिसे में पानी की मात्रा का बड़ जाना | शरीर में अथवा खून में जल की मात्रा का बढ़ना या काम होना जैसी बीमारियां कर्क राशि के अधीन है |
कर्क राशि के अधीन निर्माण |
कर्क राशि जल तत्व की राशि है इस कारण दूध, दूध की चीज , पेट्रोल, पानी के पाइप लाइन, टंकिया, बर्तन ,पानी की टंकियां, चाय, काफी ,कोल्ड ड्रिंक, हरी पत्तेदार सब्जियां , खरबूजा, गन्ना ,रसदार फ़ल , जल की मात्रा अधिक होने वाले फल | चंद्रमा के रंग सफेद के कारण चांदी ,सफेद सिल्क और रेशम का कारोबार ,इन चीजों का निर्माणकर्क राशि के अधिकार में है|
कर्क राशि के अधीन कारोबार |
कर्क राशि एक जल तत्व राशि है इस कारण जल विभाग, सिंचाई विभाग, नहरी विभाग ,परियोजना, टैंकर ,पेट्रोलियम पदार्थ, बोरवेल से जुड़ी नौकरियां या इसका कारोबार | कर्क राशि चतुर्थ स्थान में आती है इसलिए वहां वाहन सुख देखा जाता है इस लिए टूर ट्रेवल का काम , समुंद्री यात्रा की संस्था, नेवी की नौकरी ,समुद्री जहाज का कारोबार | चंद्रमा घर से संबंधित, जमीन संबंधित अतः खेती, रेस्ट हाउस, लॉज, गेस्ट हाउस, चंद्रमा सेवा करने वाला ग्रह है अतः अस्पताल, नर्सिंग होम, वृद्ध आश्रम से जुड़ी नौकरी कारोबार, खाने के ढाबे, होटल | कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा, कर्क राशि चतुर्थ स्थान में आती है चतुर्थ स्थान से देखी जाने वाली शिक्षा, शिक्षा विभाग में नौकरियां, स्कूल ,कॉलेज और यूनिवर्सिटी का काम, यह सब कारोबार कर्क राशि के अधीन है|
कर्क राशि के अधीन स्थान|
कर्क राशि एक जल तत्व की राशि है इस कारण नहर, नदी ,तालाब, हुए दलदल, डेयरी फार्म, वॉश बेसिन ,पानी की टंकियां ,पानी के पंप ,पानी के स्टोरेज करने के जगह और दूध बेचने के स्थान यह सब कर्क राशि के स्थान है|
निष्कर्ष |
कर्क राशि कुदरत कुंडली में चतुर्थ स्थान में आने के कारण माता जैसा प्रेम, केयर टेकर की भावना इस राशि का गुण है| इस राशि में इमोशन बहुत है, इस राशि का स्वामी चंद्रमा जल का कारक है जैसे पानी में कोई भी चीज मिला दो वह वैसे ही हो जाता है ,इस प्रकार कर्क राशि में जो भी ग्रह हो उसमें इस राशि के गुण आ जाते हैं | यह कंफर्ट जोन की राशि है | यह बहुत भोली भाली राशि है, अगर शनि कर्क राशि में हो तो जातक को घर से दूर जाकर काम करना चाहिए तब ही उसे काम में सफ़लता और स्टेटस मिलेगा| अगर किसी का बुद्ध कर्क राशि में होतो बड़े बिजनेसमैन लोगो के बीच में रहना चाहिए अगर किसी का शनि कर्क राशि में हो तो काम करने वाले लोगों के बीच रहना चाहिए जो बहुत मेहनत करते हैंउनके साथ रहने से ही इस राशि के जातक वैसे ही हो जाएंगे , जैसे पानी में कुछ भी मिला दो तो वह पानी वैसा ही रंग ले लता है , वैसा ही हो जाता है ,जय गुण कर्क राशि का है |
Very nice