केतु  ग्रह आध्यात्मिक , आत्मिक आनंद ,दान और मुक्ति का कारक  – भाग 1

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 moon photoकेतु  ग्रह आध्यात्मिक , आत्मिक आनंद ,दान और मुक्ति का कारक  – भाग 1

सारांश |

केतु – परिचय |

केतु के बारे में गलतफहमी |

अत्यंत  आत्मिक आनंद |

केतु – परिचय |

             हम केतु ग्रह को आध्यात्मिकता का ग्रह मानते हैं।मगर  केतु मुक्ति का ग्रह है। लेकिन हम में से कितने लोग जानते हैं कि केतु हमारे आत्म-ज्ञान का ग्रह है? अगर हम गुरु ग्रह को हमारे जीवन के ज्ञान का प्रतीक मानते हैं, तो हम केतु को आत्म-ज्ञान कह सकते हैं। केतु को बाह्य रूप से समझना कठिन है और यह कहा जाये  कि कुछ पुस्तकें पढ़ने के बाद हम केतु को समझ गए हैं तो यह बड़ी भूल है। केतु  समझने का  विषय नहीं  है। केतु अनुभव का विषय है | केतु  को अनुभव से जाना जा सकता है | अगर कोई कहे की  मुझे केतु को जानने का मन था, इसलिए मैंने कुछ पुस्तकें लीं और केतु को  समझ लिया  तो यह मुश्किल है |  केतु को समझना आसान नहीं है।

मुक्ति क्या है?

            मान लो आप ने  किसी को कमरे में बंद कर दिया और बाद में दरवाजा खोलकर उसे छोड़ दिया और उसने सोचा कि उसे मुक्त कर दिया गया है। क्या आप  इसे मुक्ति कह सकते है  या यह मानसिक स्थिति में परिवर्तन है? इसे मुक्ति नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसे एक स्थान में क़ैद किया गया था और वहां से मुक्त किया गया था। केतु की मुक्ति इससे भी गहरी है और यह मुक्ति आत्म-साक्षात्कार की आप के भीतर की  मुक्ति है। यह मुक्ति आप के मन को दर्शाती है कि मुझे किसी चीज से रुकावट नहीं है कोई बंधन नहीं है । इस कारण, जिसमें केतु का प्रभाव अधिक है, उस पर परिवार का प्रभाव नहीं होगा। इसका मतलब है, वह एक ऐसा व्यक्ति होगा जो परिवार के प्रभाव से मुक्त है।

केतु के बारे में गलतफहमी | 

              केतु के बारे में एक सामान्य गलतफहमी यह है कि केतु के प्रभाव में व्यक्ति परिवार के लिए उपयुक्त नहीं हैं। लोग यह सोचते हैं कि जो लोग केतु के प्रभाव में होते हैं, वे गेरुआ  कपड़े पहनकर एक अलग स्थान पर जाकर साधना करते हैं। इसके पीछे इस सोच का कारण है कि केतु एक निष्कलंक ग्रह है और सांसारिक कामो में जुड़ने वाला ग्रह नहीं है । इससे उल्टा  राहु कामनाओं का इच्छाओं  का ग्रह है। उसी तरह, शुक्र धन का ग्रह है, बृहस्पति ज्ञान का ग्रह है, और बुध बुद्धिमत्ता और समझने की क्षमता का ग्रह है। इसी तरह, केतु को दाता ग्रह [जो अपना सभ कुछ दे सकता है ] कहा जा सकता है। गुरु ग्रह भी एक दाता ग्रह है, लेकिन इसका  देना केवल ज्ञान तक  ही सीमित है। यह एक ज्ञान-देने वाला ग्रह है,शुक्र भी ज्ञान का कारक है वो भी ज्ञान का दान दे सकता है , जबकि केतु को किसी भी प्रकार के दान [ज्ञान ,पैसा , शरीर ]तक का दान  देने से जोड़ा जा सकता है। जैसे  “तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा” |  केतु को इरादे का भाव का   ग्रह भी कहा जाता है।

“तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा”

           रवि में  ईश्वर से जोड़ने की शक्ति नहीं है, न यह चंद्रमा में और बृहस्पति में  भी नहीं। ऐसा एक ही ग्रह है जिसके पास ईश्वर से जुड़ने की शक्ति है और वह है केतु। भगवान केवल हमारी आत्मा की आत्मिक भावनाओं से जुड़ते हैं। केतु इस आत्मिक भावना का एकमात्र ग्रह है। यह आत्मिक भावना क्या है? हे प्रभु, जो कुछ तुमने मुझे दिया है, उसे प्राप्त करके मैं खुश हूँ। तुमने मुझे इतना कुछ दिया है,मेरे लिए वह  पूर्ण समर्पण है । यही भाव  है। जिसके पास कर्तव्य को अर्पित करने और देने की भावना है, वह केतु के प्रभाव वाला  व्यक्ति है। “तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा” यह केवल शब्दों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह हमारी आत्मा का भाव  है जो केतु ग्रह से संबंधित है। जो व्यक्ति अपना सब कुछ  देने की भावना रखता है, वह केतु के प्रभाव वाला होता है।

अत्यंत  आत्मिक आनंद | 

            बुध आनंद और खुशी का ग्रह है। लेकिन केतु अत्यंत आत्मिक आनंद का ग्रह है। आत्मिक  आनंद वह आनंद है जिसमें आत्मा खुद को मुक्त पाती है। बुध का आनंद सांसारिक आनंद है, लेकिन केतु का आनंद आध्यात्मिक, और आत्मिक  आनंद है जो आत्मिक सुख की भावना देता है। यह असीमित आनंद है। सिर पर कोई बोझ नहीं है। इसे ही  आनंद कहा जाता है। यही वह अत्यंत आत्मिक आनंद है जो केवल केतु ही दे सकता है। जिसका बृहस्पति मजबूत है, वह ज्ञान की ओर झुकेगा। जिसका शुक्र अच्छा है, वह धन की ओर होगा, प्रेम की पीछा करेगा, भलाइयों की पीछा करेगा। जिसका बुध अच्छा है, वह हंसने का शौक रखेगा और सीखने में रुचि रखेगा। जिनका मंगल अच्छा  होगा, वह साहसी और युद्धरत होगा। जिसका रवि मजबूत होगा, वह प्रसिद्ध होने का इच्छुक होगा, अधिकार की इच्छुक होगा। जिसका चंद्रमा अग्रणी होगा, वह मानसिक रूप से खुश रहने की सोचेगा। लेकिन केतु वह ग्रह है जो कहता है कि तुम्हारे पास सब कुछ है, बस भगवान से कुछ मांगो मत क्योंकि भगवान ने तुम्हें सब कुछ दिया है। खुश रहो | मगर , राहु और ,और, और  चाहता है। राहु की भावना अधूरी रहती है जबकि केतु हमेशा संतुष्ट रहता है और  ईश्वर को आकर्षित करता है।

             जारी रहेगा।…

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