द्वादश भाव [ द्वादश स्थान, 12th हाउस ] से क्या-क्या देखा जाता है ?
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द्वादश भाव |
द्वादश स्थान जिसे व्यय स्थान, द्वादश स्थान, 12th हाउस भी कहते हैं | काल पुरुष कुंडली में द्वादश भाव में मीन राशि आती है जिसका स्वामी गुरु है, द्वादश स्थान पर गुरु और मीन राशि दोनों का प्रभाव दिखता है |ज्योतिष शास्त्र में, द्वादश भाव (Twelfth House) को मोक्ष भाव भी कहा जाता है और यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण भाव है। कुंडली का अन्तिम द्वादश भाव होता है और इसमें संकट, त्याग, अस्पृश्यता, रहस्य, विमुक्ति, संदेह, रोग, विद्रोह, आत्म-विमोचन, भविष्य के अनिश्चितता, छिपी हुई शक्तियाँ, बेचैनी, गुप्त शत्रु, अपने प्रारब्ध और भाग्य से बचने की चेष्टा, समाधान, आत्मा का शोक आदि देखा जाता है।
द्वादश भाव से देखे जाने वाले शरीर के हिस्से |
काल पुरुष कुंडली में द्वादश स्वभाव में मीन राशि आती है | जिससे शरीर में पैरों के तलवे देखे जाते हैं और इससे आंखों देखी जाती हैं | पुरुष की दाहिनी आंख और स्त्रियों की बाईं आंख द्वादश भाव से देखी जाती है|
द्वादश भाव से देखे जाने वाले अन्य कार्य |
1 काल पुरुष कुंडली में द्वादश भाव में मीन राशि आती है जिसका स्वामी गुरु बृहस्पति है | और बृहस्पति आकाश तत्व का ग्रह है| और द्वादश भाव को व्यय स्थान भी कहा गया है, इसलिए इस व्यय स्थान से मोक्ष, मुक्ति को देखा जाता है | इसी भाव से विदेश और विदेश यात्रा, इसी भाव से जेल की सजा, जेल, घर से भाग जाना ,इसी भाव से अस्पताल और अस्पताल में दाखिल होना , इसी भाव से किसी प्रकार का भी निवेश, इन्वेस्टमेंट और हर तरह के खर्चे,| यह भाव प्रथम भाव का व्यय स्थान है, इसलिए शरीर का कमजोरियां, किसी तरह की भी कमी ,इस भाव से देखी जाती है |
2 इसी भाव से धन की चिंता, कर्ज का उतरना ,किसी प्रकार का विघन ,डर ,शक ,किसी तरह का नुकसान, धोखाधड़ी, जातक पर की जाने वाली दुश्मन की साजिश ,छुपे हुए दुश्मन, किसी से अनबन ,किसी प्रकार के असफलता, त्याग, किसी भी प्रकार के खरीदारी पर होने वाला खर्चा,प्रायश्चित, पछतावा ,| शरीर की स्वच्छता के लिए किया जाने वाला योग ,मेडिटेशन ,यह सब बातेंइस द्वादश स्वभाव से देखी जाती हैं
3 इसी भाव से जंगली जानवर, इंपोर्ट एक्सपोर्ट का व्यापार , कोई भी गुप्त स्थान, गुप्त विद्या, गुप्त और कड़ी साधना, सभी प्रकार के दुख, गरीबी, हर तरह की मुश्किलें और श्मशान घर, निर्जन स्थान, जंगली गुफा, फांसी देने का स्थान , लोक परलोक और मृत्यु भी इस भाव से देखी जा सकती है |
इसके कुछ और महत्वपूर्ण बिंदुओं को डिटेल में देखा जा सकता है जो अकेले द्वादश भाव से संबंधित हैं:
- मुक्ति और मोक्ष: यह भाव संसार से मुक्ति और आत्म-विमोचन की प्रक्रिया को संकेत करता है। यहाँ व्यक्ति अपनी आत्मा की ऊर्जा को शुद्ध करने के लिए विशेष ध्यान देता है।
- अंतिम संदेह और आत्म-विवेचन: यह भाव अंतिम चरण में संदेह को संजीवनी देता है और आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाता है।
- छिपी हुई शक्तियां: इस भाव में व्यक्ति की आत्मा की अद्भुत शक्तियों की उपस्थिति होती है, जो कभी-कभी छिपी हुई होती हैं और उन्हें जगाना या प्राप्त करना एक गहरा अध्ययन और साधना का विषय होता है।
- रोग और संकट: यह भाव रोग, अस्पृश्यता और मनोविकारों के साथ जुड़ा होता है। इसमें रोगों और बीमारियों का संकेत भी होता है जो आत्मिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
- त्याग और समाधान: यहाँ व्यक्ति को सांसारिक बाधाओं को पार करने के लिए त्याग और समाधान की आवश्यकता होती है।
- गुप्त शत्रु: इस भाव में छिपी हुई शत्रुओं, अद्भुत दुश्मनों, या अन्य अविद्यमान कठिनाइयों का संकेत होता है।
द्वादश भाव से जातक से संबंधित लोगों को मिलने वाला फल ,क्या क्या देखा जा सकता है ?
1 द्वादश भाव से छोटे भाई बहनों का प्रमोशन, उनका मान सम्मान, उनका गवर्नमेंट जॉब ,उनका अधिकार जॉब, जातक की माता की विदेश यात्रा, माता का धर्म के प्रति झुकाव, इसी भाव से जातक की संतान की परेशानियां संतान की दुर्घटना, संतान को मिलने वाला बिना कमाए पैसा ,उनके ऑपरेशन इसी भाव से देखे जा सकते हैं | इसी भाव से जातक के पति या पत्नी की बीमारी, उसकी नौकरी, और जातक के पिता का घर, या उनके वाहन खरीदना, बेचना, इसी भाव से जातक के दोस्त, और बड़े भाई, बहनों को इकट्ठा किया हुआ धन ,भाई बहनों के खाने की आदतें उनकी बोलचाल देखी जा सकती है|
2 जातक के जीवन में होने वाली सभी प्रकार की प्रतियोगिता का प्रतिस्पर्धी सप्तम स्थान से देखा जाता है यह व्यय स्थान सप्तम स्थान से छठा स्थान हो गया ,हम छठा स्थान से किसी भी प्रकार की सफलता, प्रतियोगिता में जीत देखते हैं, इसलिए यह जातक का व्यय भाव प्रतिस्पर्धी का सफलता का भाव हुआ | इससे प्रतिस्पर्धी की जीत अर्थात जातक की हार और असफलता इसी द्वादश भाव से देखी जा सकती है |
किसी देश या राज्य की कुंडली में द्वादश भाव से क्या-क्या देखा जाता है ?
किसी देश जा राजा की कुंडली के द्वारा स्वभाव से उस देश में होने वाली मृत्यु की मात्रा ,उस देश का जंगल ,उस देश में सूखा या अकाल पड़ जाना, उस देश की हर तरह के होने वाली हानि ,दुश्मनों की साजिश, उस देश की किसी भी युद्ध में होने वाली हार , उस देश का इंपोर्ट एक्सपोर्ट का व्यापार और उस देश का विदेश से लिए हुए धन कर्ज के रूप में चुकाना, देश में होने वाला विदेशी निवेश ,उस देश में विदेशी दूतावास, और उस देश की सरहदों से लगने वाला सागर,इस द्वादश भाव से देखा जा सकता है| इसी द्वादश भाव से घर के आसपास की जगह और घर में गुप्त स्थान भी देखा जा सकता है |
द्वादश भाव से जातक को मिलने वाले विरोधी फल क्या-क्या होंगे ?
द्वादश स्थान जातक की कुंडली के प्रथम भाव का व्यय स्थान हुआ ,अतः जातक जो करना चाहे उसमें बाधा आएगी ,जातक के शरीर की हानि और जातक अपने कर्तव्य से चूक जाता है | जातक का आलसी और स्वार्थी होना भी इसी भाग से देखा जाता है यह भाव जातक की कार्य शक्ति और रोग प्रतिकार शक्ति में कमी लाता है|