क्या आप नवग्रहों सूर्य ,चंद्रमा ,मंगल ,बुध ,बृहस्पति ,शुक्र, शनि ,राहु और केतु के बीज मंत्र और उनके गायत्री मंत्र के बारे में जानते हैं |
वैदिक ज्योतिष
वैदिक ज्योतिष में नव ग्रह के बीज मंत्र अलग-अलग होते हैं | यह मंत्र ग्रहों की शक्ति को शुद्ध करते हैंऔर उनके प्रभाव को बढ़ाते हैं | सभी नौ ग्रह सूर्य ,चंद्रमा ,मंगल ,बुध ,बृहस्पति ,शुक्र, शनि ,राहु और केतु ,के बीज मंत्रऔर उनके गायत्री मंत्र नीचे लिखे गए हैं|
नव ग्रहों के बीज़ मंत्र |
Surya (Sun):सूर्य |
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- “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।”
- Chandra (Moon): चन्द्रमा |
“ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः।”
- Mangal (Mars): मंगल |
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- “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।”
- Budh (Mercury): बुध |
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- “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।”
- Guru (Jupiter): बृहस्पति |
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- “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।”
- Shukra (Venus): शुक्र |
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- “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।”
- Shani (Saturn): शनि |
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- “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।”
- Rahu: राहु |
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- “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।”
- Ketu: केतु |
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- “ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः।”
यह मंत्र शांति और शुभ प्रभाव के लिए जपने के लिए होते हैं | इनका जाप विधियों का पालन करते हुए ही करना चाहिए |
सभी नव ग्रहों के गायत्री मंत्र |
- Surya (Sun): सूर्य |
“ॐ आदित्याय विद्महे भास्कराय धीमहि।
तन्नो सूर्य : प्रचोदयात्।”
- Chandra (Moon): चन्द्रमा |
“ॐ श्रीङ्गविष्णुचन्द्राय विद्महे कृष्णाय धीमहि।
तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्।”
- Mangal (Mars): मंगल |
“ॐ अंगारकाय विद्महे लोहिताङ्गाय धीमहि।
तन्नो भौमः प्रचोदयात्।”
- Budh (Mercury): बुध |
“ॐ बुधाय विद्महे मेर्कुर्याय धीमहि।
तन्नो बुधः प्रचोदयात्।”
- Guru (Jupiter):
“ॐ गुरवे विद्महे बृहस्पतये धीमहि।
तन्नो गुरुः प्रचोदयात्।”
- Shukra (Venus):
“ॐ शुक्राय विद्महे भृगु पुत्राय धीमहि।
तन्नो शुक्रः प्रचोदयात्।”
- Shani (Saturn):
“ॐ शनैश्चराय विद्महे कृष्णाय धीमहि।
तन्नो शनै : प्रचोदयात्।”
- Rahu: राहु |
“ॐ राहवे विद्महे सर्पराजाय धीमहि।
तन्नो राहुः प्रचोदयात्।”
- Ketu: केतु |
“ॐ केतवे विद्महे पलाशपुत्राय धीमहि।
तन्नो केतुः प्रचोदयात्।”
ब्रह्म गायत्री मंत्र |
“ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्।”
इस गायत्री मंत्र का अर्थ ,
“हे भूर्भुवः स्वः के सब प्राणियों के अधिपति, हम तुझे सबसे श्रेष्ठ, सुन्दर, ओजस्वी, पवित्र, ज्ञानी, विक्रमी, यही ब्रह्म तत्व वाले, देवता रूप में जानते हैं। हे देवस्य देव, हम तुझे प्रणाम करते हैं, हे धन्यवाद, हमें उस ब्रह्म ज्ञान की दिशा में प्रेरित कर।
अगर कुंडली में कोई शुभ ग्रह [बृहस्पति ,चंद्रमा ,बुद्धऔर शुक्र ],अगर पाप प्रभाव में आ जाएं , जा कोई शुभ ग्रह पाप कर्त्री योग में आ जाए ,[यानी दो अशुभ ग्रहण के बीच में आ जाए [अशुभ ग्रह मंगल ,शनि ,राहु ,केतु ]तो उनके फल देने की शक्ति कम हो जाती है | और जातक को इस ग्रह की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो | तो उस समय उस पीड़ित ग्रह के बीज मंत्र या गायत्री मंत्र करने से ,उस ग्रह की ऊर्जा बढ़ती है ,और जो पाप प्रभाव उस ग्रह पर है ,वह काम हो जाता है| जब किसी बुरे घर में 6, 8 ,12,में बैठे ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा चल रही हो ,या 6, 8, 12, के स्वामी के दशाअंतर्दशा चल रही हो ,या केपी के मुताबिक जिस ग्रह की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो ,उस ग्रह का नक्षत्र स्वामी 6, 8, 12 में बैठा हो ,या 6,8,12 घरों का स्वामी हो ,तो उस समय जातक को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है | उस समय जातक को उस ,6, 8 ,12 ,घर में बैठे ग्रह के स्वामी ग्रह का बीज मंत्र या गायत्री मंत्र करना चाहिए ,उससे उस ग्रह का प्रकोप काम होगा और इन घरों के कुछ अच्छे परिणाम आएंगे |
अगर किसी को सूर्य की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो और सूर्य कुंडली में नीच ,हो या पाप ग्रहों से पीड़ित हो ,तो उस जातक को सूर्य के बीच मंत्र और सूर्य गायत्रीमंत्र के साथ जो: ब्रह्म गायत्री मंत्र है: उसका भी उच्चारण करना चाहिएऔर सूर्य को सुबह जल अर्पित करना चाहिए क्योंकि कुंडली में अगर सूर्य और चंद्रमा दो ग्रह खराब हो जाए तो 50% कुंडली खराब हो जाती है | इसलिए हर जातक को सूर्य और चंद्रमा को ठीक रखने के लिए सूर्य और चंद्रमा का बीज मंत्रऔर इनका गायत्री मंत्र करना चाहिए | सूर्य और चंद्रमा की दशा हो या ना हो , फिर भी सूर्य और चंद्रमा के मंत्र तो सभी को करने ही चाहिए इसका प्रभाव मैंने खुद देखा है |
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