कालसर्प योग क्या है? यह दोष कब ज्यादा प्रभावशाली होता है ?
कालसर्प योग क्या है?
कालसर्प योग के कुछ तथ्य
कालसर्प योग के प्रभाव
विभिन्न घरों में कालसर्प योग की अवधि
कुछ गलतफहमियां
यह दोष कब ज्यादा प्रभावशाली होता है ?
उपाय
कालसर्प योग क्या है?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब किसी की जन्मकुंडली में सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, और शनि—इन सात ग्रहों का स्थान राहु (उत्तर चंद्रमा ग्रह) और केतु (दक्षिण चंद्रमा ग्रह) के बीच होता है, तो उसे दोष कहा जाता है। “सर्प” सांप को दर्शाता है, जबकि “काल” संस्कृत में समय को दर्शाता है। इन सभी ग्रहों की व्यवस्था राहु और केतु के बीच जन्म कुंडली में, इस विशेष संरचना को बनाती है।
कुछ लोग इसे ज्योतिषीय महत्वपूर्ण मानते हैं और मानते हैं कि इससे उनके जीवन में समस्याएं, अड़चनें, और तंत्रमय स्थितियां आ सकती हैं। कालसर्प दोष के विश्वासी व्यक्ति उपाय या उत्तर के लिए ज्योतिषी की सलाह लेते हैं, या वे इसके प्रभाव को कम करने के लिए विशिष्ट रीति-रिवाज, औषधियों, या प्रार्थनाओं का आचरण कर सकते हैं। किसी चार्ट में ग्रह राहु और केतु के बीच बैठा हुआ हो, तो कई बार ज्योतिषी इसे भंग काल सर्प योग कहते हैं, लेकिन मेरी व्यक्तिगत राय में, इस प्रकार की स्वीकृति सही नहीं है। इसके अलावा, अधिकांश ज्योतिषी इस योग को काल सर्प दोष कहते हैं, लेकिन मेरे ज्ञान के अनुसार, हमारे शास्त्र में ऐसा कोई शब्द दोषा नहीं है।
कालसर्प योग के कुछ तथ्य |
1 लोग सामान्यत: जीवन की अनिवार्य चुनौतियों के परिणामस्वरूप आर्थिक सफलता प्राप्त करने के लिए अधिक कठिनाईयों का सामना करते हैं।
2 कहा जाता है कि इस योग के प्रभाव को जीवन भर ही महत्वपूर्ण माना जाता है।मगर ऐसा नहीं है इसकी प्रभावीता को 42 वर्ष तक महत्वपूर्ण माना जाता है।
3 काल सर्प योग के प्रभाव, व्यक्ति की ज्योतिषीय चार्ट के समयों में सबसे अधिक दिखाई देते हैं, जिन्हें राहु और केतु नियंत्रित करते हैं।
काल सर्प योग के प्रभाव |
1 बहुत से लोग काल सर्प दोष के प्रभाव के कारण आर्थिक कठिनाइयों का सामना करते हैं,और शारीरिक रोग जो अक्सर हृदय, आंख, और कान की समस्याओं के साथ जुड़े होते हैं। कभी-कभी, व्यक्ति पर मानसिक कष्ट आता है, जिससे कठिन आर्थिक स्थिति बनी रहती है। यदि ऋण मिलता है, तो उसे चुकाना कठिन होता है। लक्ष्यों को हासिल करना तो संभव है, लेकिन इसे पूरा करने में बहुत समय लगता है।
2 जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है, वे अक्सर जीवनभर आर्थिक कठिनाइयों और पति-पत्नी के बीच झगड़ों का सामना करते हैं। उन्हें अक्सर लगातार चिंताएँ और अनिश्चितताएँ होती हैं, साथ ही अशुभ घटनाओं का संकेत देने वाले सपने दिखाई देते हैं और मौत का भूत। उनकी करियर में बढ़ोतरी अक्सर टाल जाती है, और उनके प्रयासों को बहुत बार पूरी तरह से सफलता नहीं मिलती ।
3 इस दोष ने धन या प्रतिष्ठा को रोका है। रहस्यमय बीमारियाँ व्यक्ति के स्वास्थ्य और भलाइयों को प्रभावित करती हैं और कई बार मानसिक रोगों का सामना करना पड़ता है ।
कालसर्प योग की अवधि विभिन्न घरों में |
जब ऐसा योग पहले घर में होता है, तो यह 27 वर्ष तक सक्रिय रहता है। जब यह दूसरे घर में होता है, तो यह 33 वर्ष तक सक्रिय रहता है। जब यह तीसरे घर में होता है, तो यह 36 वर्ष तक सक्रिय रहता है। जब यह चौथे घर में होता है, तो यह 42 वर्ष तक सक्रिय रहता है। जब यह पांचवे घर में होता है, तो यह 48 वर्ष तक सक्रिय रहता है। जब यह छठे घर में होता है, तो यह 54 वर्ष तक सक्रिय रहता है।
कुछ गलतफहमियां |
कालसर्प योग के बारे में कई भ्रांतियां हैं। यह योग प्राचीन ज्योतिष लेखों में उल्लिखित नहीं है, हालांकि व्यक्तियों ने इसे अपनी जन्मकुंडली में अनुष्ठानीय ग्रह स्थितियों के साथ जोड़ा है। बल्कि, यह आजकल लगातार ज्योतिषीय व्याख्याओं में आता है।
ज्योतिषीय विचारों में ब्रह्मांडीय स्थितियों के संभावित प्रभावों को स्वीकृति किया गया है, जो इसे शुभ या अशुभ बना सकता है, यह इसे कैसे अन्य ग्रह स्थितियों के साथ प्रभावित करता है, इस पर निर्भर कर सकता है।
यह दोष कब ज्यादा प्रभावशाली होता है ?
कुंडली में जब सभी ग्रह ,राहु और केतु के बीच आ जाएँ तब यह योग बनता है ,मगर मान लो राहु किसी की कुंडली में लग्न में है ,और केतु सातवें भाव में है ,और बाकि सभी ग्रह [ सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र,और शनि ]सातवें भाव से लेकर बारहवें भाव में स्थित हों तब इसके बुरे प्रभाव जातक को ज्यादा देखने पड़ते है | क्युकी राहु को सर्प का मुख कहा गया है ,और राहु हमेशा वक्री चलता है ,तब सातवे भाव से बारहवें भाव में स्थित सभी गृह राहु के मुख में जा रहे होते है ,राहु इन सभी ग्रहो का ग्रास कर रहा होता है | इस लिए जब कुंडली में सभी ग्रह राहु के मुँह में जा रहे हो ,उस कुंडली में जातक को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है ,तब उपाय जरूर करने चाहिए | एक सिथति इससे उलट बनती है जब सभी ग्रह राहु के पीछे हो ,जैसे ऊपर दी गई सिथति के उल्ट ,राहु लगन में ही हो और बाकि गृह दूसरे भाव से सातवे भावो के बीच हों ,तब यह गृह राहु के मुख में नहीं जा रहे ,यह सिथति कुंडली में अछि है ,मेने ऐसी ग्रह सिथति कई कुंडली में देखि है ,और वो जातक 24 साल की उम्र होते होते अपने पैरों पर खड़ा हो गए |इस लिए राहु केतु के बीच की ग्रह सिथति को देख कर ही आंकलन करना चाहिए |
उपाय |
इस योग को हटाने के लिए प्रमुख उपाय है किसी विशेष पुरोहित या पुजारी को इसके प्रमुख पूजा के लिए नियुक्त करना क्योंकि यह किसी सामान्य पुजारी का काम नहीं है। भारत में इसे हटाने के लिए कुछ प्रमुख स्थान हैं। इनमें उज्जैन के सिद्वाट मंदिर, नासिक के त्रियम्बकेश्वर मंदिर, और आंध्र प्रदेश के श्री कालहस्तेश्वर मंदिर शामिल हैं।
1 एक और बहुत प्रभावी उपाय है हनुमान चालीसा को नियमित रूप से पढ़ना।
2 नारियल क्रिया करें, जिसमें आपको एक नारियल लेना है , और इसे अपने सिर के ऊपर चारों ओर 7 बार एंटीक्लॉक घुमाना है और फिर इसे बहते हुए पानी में,जिस तरफ पानी जा रहा है उस तरफ अपना मुँह करके इसको पानी में वहा देना है । यह क्रिया 7 शनिवार या बुधवार को करनी चाहिए |
3 प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत और काले तिल अर्पित करें । इस रीति को करते समय शिवलिंग पर पानी डालने के बाद महामृत्युंजय मंत्र का जाप जरूर करें।
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